Sukha Patta - 1 in Hindi Love Stories by Alone Soul books and stories PDF | सुखा पत्ता️ - भाग 1

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सुखा पत्ता️ - भाग 1

ये कहानी है बस दो जोड़ी जूतों जैसी जिसमे सिर्फ प्यार भी मिलता ही हैं और जब खत्म  भी होता है तो सिर्फ घिस घिस के , ये वो जूते है जो साथ में एक रिश्ते की नीव रखते है ,  जो कदम ताल को बैठा गए तो एक नई राह चुनते है बस इसे पहली मुलाकात से लेके अंतिम ताल की कहानी बस वही सूखे पत्ते बस वही सूखे पत्तों की हरियाली से मुरझा जाने तक का सफर ही तो है 

ये जवानी सी एक अनोखी कहानी

कितना सुहाना होता है न जब दो प्रेमी एक दूसरे को बस चुप चुप के देखते है .....

कैसे की एक  दुसरे  की नजर  को बिना पता लगे कुछ नजरो से कह भी जाते ही जाते है ।

यू छुपा छुपाना फिर  किसी कोने को ढूंढ लेना जहां से सिर्फ महबूब ही दिखे कितना मोहक होता है। न ये नदानियो वाला , या यू कहा जाए बे इजहारे मोहब्बत वाला इश्क , एक आस , एक प्यास, कुछ डर  में छुपी हुई आहत बस   ऐसे ही तो शुरू होता है न सब ये सब जो जो इतना नजुकता से शुरू होता है खत्म कर देता क्यों है बस आखरी में रह जाता ही है वो सूखे पत्ते 

"जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला हमने तो कलिया मांगी काटो का हार मिल "




सुनो ?

Hmm
क्या लिख रही हो ?

एक कहानी .......
प्यार की?

शायद
एक लड़का है।
Hmmmm
लड़की है।
Hmmm
दोनों प्यार में है।
शायद;
शायद , हा! शायद
लड़की ज़ाबाब नहीं देती क्या
नहीं लड़का कुछ पूछता ही नहीं
पूछ तो रहा है
कुछ बताता नहीं
क्या ?
सब .........
सब हा सब,
अच्छा उसने कभी बताया नहीं क्या लड़की कितनी खूबसूरत है , उसकी आंखे बस हाय ये आंखे ...

अरे रोक क्यों दिया लिखना ?
तुम मुझे डिस्टर्ब कर रहे हो!
मैं तो बस सोने ही जा रहा था रात काफी हो गई है
सो जाओ good night ....

अच्छा सुनो ...... 

Hmmmm बोलो 

कुछ नहीं बस यूंही 

बोलो बाबा  नही बस एक बात पूछना था  तुम तो मुझे जानती ही नही अच्छे से 

Hmm !!!!

फिर कैसे ! 

जानने से क्या होता है जब मोहोब्बा हो जाती है तो हो जाती है 

ठीक है 

कोई डर तो नही 

नही आप सो जाओ 

Good night.....



(बस इसी तरह अन्वी अपने शब्दों की मोतियों को सावर रही थी और विआन उसको बस एक टक निहारता रहा था , क्यों न निहारे पहली रात जो। दोनों एक दूसरे के इतना करीब आ गए थे ,  कि उस कलम की
सिहाई जैसे कागज को चूमती हैं जैसे दोनों ने अपने रूह से कुछ लिख दिया हो वही ........मुकद्दर वाला प्यार)....
जैसे की गालिब की शायरी में काई एक इत्र सा लगा गया हो , जैसे महलों की रानी हो , जैसे गुलजार खुद  इनकी नज्म बना रहे हो बस प्यार प्यार को पा रहा जो 

पर कहा अंदाजा होता है कि शुरू में की कुछ सूखे पत्तों सा बिखर के रह जाएगा सब एक गाना है न "जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला , हमने तो बस कलिया मांगी कट्टो का हार मिला ये दफन कर जाता है एक रूह को दूसरी रूह तक)




तो दोस्तो अलगले भाग में शेष..............